अवतार क्षेत्र परिचय – पुरुष विशेष
- अवतार का आगमन चौथे लोक में होता हैं ! तीन लोक संकेत मात्र हैं !
- चौथा लोक एक योजन (चार कोस) का होता हैं !
- मंडलाकार (गोलाकार) क्षेत्र होता हैं ! जो गुप्त रहता हैं ! चारो तरफ से इस क्षेत्र का झुकाव कक्ष दक्षिण कुंड में होता हैं !
- पुरुष विशेष कक्ष भूमि पर कार्य करता है !
- केंद्र के दक्षिण क्षेत्र में एक योजन मंडलाकार का पानी (वर्षा आदि) विशाल तालाब के रूप में एकत्र होता हैं इस लिए इसे संभल गाँव कहते हैं !
- छिपी हुई सरस्वती नदी यदा कदा कक्ष भूमि के पश्चिम से आती हैं तथा गाँव के दक्षिण बहती हुयी पूर्व को अपना बहाव लेती हुयी आगरा होती हुयी ………………………..
- एक योजन का पानी एकत्र होने से वह तालाब स्थिर जलाशय होता है ! तथा सरस्वती नदी आने पर बहती सरोवर कही जाती है ! इसलिए इसे मानसरोवर ताल कहते हैं ! जहाँ हंस निवास करते हैं ! “ मुसलमान भाई इसे हौजे कौसर कहते हैं” !
- तलाव में सफ़ेद फूल खिलते हैं !
- फूल वाली दूर्वा घास होती है !
- गाँव के पूर्वी दिशा में नहर होती है जिस के किनारे खजूरों के पेड़ होते हैं ! अवतार उजागर समय एक भी पेड़ अन्यत्र दिशा में नही होगा !
- चारो दिशाओ से यह नहरी क्षेत्र होता है !
- घी दूध की अधिकता होती हैं क्योकि पशुधन अधिक होता है !
- उत्तर दिशा में रत्नेश्वर लिंग का विधान होता है !
- पूर्व दिशा की नहर पीछे से खुदऊ तथा गाँव के पूर्व डरऊ किनारा (pattti) होती है !
- पूर्व की नहर के दो परनालो का पानी कक्ष गाँव तालाब में मिलता हैं !
- विशेष रूप से गाँव के चारो तरफ पाँच तालाब होते हैं तथा छठवां तालाब भी अपना रूप धारण करता है !
- चक्र सुदर्शन के रूप में दर्शाया गया क्षेत्र होता है जिस के केंद्र बिंदु पर कल्पान्त में भगवान अपने वाहन पर सवार हो आते हैं !
- महाप्रलय आने पर भी अविनाशी खण्ड होता है !
- सरस्वती नदी के आने पर गाँव की कक्षभूमि से पश्चिम, दक्षिण, पूर्व में जल होता है ! उत्तर दिशा जल विहीन होती है !
- बड़े आश्चर्य की बात है कल्पान्त में भगवन शंकर पार्वती तथा …… सहित सरस्वती नदी के किनारे रचना ….. करते हैं !
- भगवन के सर्व रूपों की अवनाशी- लीला भूमि होती है !
- गोलाकार क्षेत्र में कुछ हिस्सा राजस्थान का होने पर इसे राजस्थान रच्यो झेलम देश कहते हैं !
- मंडलाकार क्षेत्र के केंद्र बिंदु से दो कोस ( अर्धयोजन ) पूर्व में महादेव का नगला गाँव होता हैं, क्योकि यह महादेव जी का क्षेत्र है, पश्चिम – कदमखंडी, उत्तर में धरमपुरा तथा दक्षिण दिशा में फुलवारा गाँव होता है !
- गोलाकार क्षेत्र में कक्ष भूमि के गाँव को छोड़ कर चौबीस गाँव होते है ! इसलिए चक्र में 24 अरे दिखाए जाते हैं ! तथा शंकर के चौबीस अवतार ब्रह्मा, विष्णु…….इंद्र का आगमन यही होता है !
- मंडलाकार मध से ही सत्य का उद्घोष होता हैं ! इसलिए अशोक चिन्ह में सत्यमेव जयते लिखा जाता हैं ! मनरूपी घोड़े पर सवारी करने पर एक तरफ घोडा होता है तथा उसी गाय के बछड़े को नादिया बनाया जाता है जिसकी एक जबान अधिक हो, कलयुग में लोग यह न समझ बैठे कि भगवान् गाय के बछड़े पर सवारी करते हैं इसलिए शिवलिंग तथा नादिया के बीच में मानव चरण होते हैं ! क्योकि मानवो को समझाने मानव आता है !
- शिवलिंग यानि शिव की देही, हरनाम की देही होती है इसलिए दो बार हर – हर महादेव कहते हैं! भगवान अजन्मा हैं परकाया प्रवेश कार्य करते हैं !
- गाँव के उत्तर में रेही युक्त ज़मीन होती है !
- गाँव की रास्ता रपटीली होती है ( गुरु की राह बड़ी रपटीली ) !
- अत्रिगोत्र यदुवंश ठाकुरों का गाँव होता है, कुछ गाँव इस वंश के और भी होते हैं बकाया चारो तरफ जाटो का क्षेत्र होता है !
- इस क्षेत्र में पानी न होने से धर्म ग्रंथो में रेत का समुद्र कहा है !
- कक्ष भूमि कबीर साहब की स्थली कही है पहले झोपडी में निवास करते है उत्तर दिशा में गलकट्टा (खटीको) के घर होते हैं !
- यही सुदामा की झोपडी कही है, ईश्वर की कृपा से अष्ट मंजिल भवन होता है !
- यहाँ आकर स्वत: शांति मिलती है, इसलिए दारुन अमल यानि शांति का घर कहा गया है !
- यहाँ आकर आध्यामिक ज्ञान का प्रकाश होता है !
- पीछे से मुसलमानी सल्तनत जमीदारी प्रथा में अंतिम जायदाद की मालकिन असकरी-बेगम होती हैं इसलिए कबीर साहब ने कहा है “ बेगमपुर देश हमारा साधो बेगमपुर देश हमारा ” !
- कक्ष भूमि के दक्षिण दिशा को कन्दला (कन्दरा) कहा जाता है “कबिरा तेरो घर कन्द्ला में, यह जग रहत भुलाना” !
- कक्ष भूमि पर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी सहित स्वयं निवाश करते है ! अत: खजानों से यूक्त भूमि होती है !
- अवतार के सिवा इस क्षेत्र का ज्ञान किसी को नहीं होता है !
- भगवान द्वारा वाहन के माध्यम से देवों को लाकर सतयुग वर्ताया जाता है !
- मंडलाकार क्षेत्र गोपनीय से भी अति गोपनीय होता है ! जहां गुरु के चरणों में सभी तीर्थ एक जगह होते हैं !
- कल्पान्त में मंडलाकर क्षेत्र में चारों ओर अग्नि प्रज्वलित प्रारूप होता है !
- फहराती दाढ़ी वाला जो सफ़ेद होती है कच भूमि का सन्देश वाहक होता है !
- मंडलाकार का मध्य स्थल – शक्ति स्थल होता है !
- अवतारिक खेल चलने पर पांच भाई होते है वाहन रूप में जो ब्रह्मा के पांच मुख का प्रतीक है एक मुख ब्रह्मा का काट दिया गया था इसलिए चार मुख सिंह के दिए जाते है तीन मुख नर रूपी सिंह के सामने तथा एक मुख पीछे साईड में होता है ! अवतार – उजागर समय में चार भाई होंगे, अशोक चिन्ह में दर्शाया गया है !
- यह अत्री ऋषि का अति पुरातन क्षेत्र होता है ! जहां से सनातन धर्म की स्थापना होती है ! अन्य धर्म नष्ट हो जाते है ! पहिले सनातन शाश्वत धर्म ही था, वही आगे रहेगा !
- यहाँ से ही सतयुग वर्ताते हैं तथा इसे ही स्वर्गलोक – जन्नत … कहा जाता है !
- एक योजन क्षेत्र को भगवान प्राकट्य की स्थली पर देवगण आकर रहस्य मयी लीला का आस्वादन करते हैं !
- कक्ष भूमि से चक्रवर्ती राजा राज्य करता है ! यहाँ से युग परिवर्तन का कारण राजा ही होता है ! जिसे जाति से ठाकुर कहा गया है निज घर से कार्य करता है !
- अवतारिक लीला के प्रारम्भिक समय में पीपल, बढ (बरगद) तथा कदम्ब का पेड़ नब्बे अंश का कोण बनाकर स्थित होते है !
- सतगुरु डेरा अर्स कुर्स सफ़ेद गुम्मद होगा !
- सतलोक की सुद्रढ भूमि स्थापित कर के गुम्मद में ऊँचे टीले रूपी सिंघासन पर विराजमान स्थूल आकार में तेजो मय ………………………..
- हर हर का कुआ ————– चौरासी का चक्कर होगा !
- कक्ष भूमि गाँव के – नो रास्ते प्रकट तथा दसवां रास्ता गुप्त होगा जिसका विवरण – सरकारी नक्शे में जानने योग्य है !
- मिट्टी रूपी टीला होने से इसे कैलाश पर्वत, नीलगिरी पर्वत, हिमालय पर्वत ………कहा जाता है ! प्रभु हमेशा पृथ्वी रूपी पर्वत पर आते है ! पाषाढ रूपी पर्वत से नहीं ये प्रकृति सान्केत स्थल हैं !
- कक्ष भूमि ही सनातनियों की राम जन्म भूमि, कृष्ण जन्म भूमि, ………जाहर पीर स्थल हैं यही मुस्लमानों की मक्का मदीना है ईसाईयों का गौडिया मठ ………..चर्च, सिखों का गुरूद्वारा…..आदि हैं जो साढे तीन करोड़ स्थलों को अपने अन्दर समाहित किये हुए है !
- कक्ष भूमि कंतल भूमि कहलाती है !
- एक योजन का क्षेत्र ही वास्तविक बृज कहा है ! यह गुप्त रखा है, जिसका भेद, वाहन के माध्यम से कल्पान्त में प्रकट करते है ! अस्सी कोस सांकेतिक प्रकट रहता है जो मंडला कर नहीं है !
- मृदंगाकर भूमि कहा गया है !
- इसे ही आकाश भूमि कहा है जहां मानव, गाय भेंस………………………………अन्य प्राणी होते है !
- विवाह शादी आदि प्रक्रियां भी होती रहती है !
- कक्ष भूमि से प्रजापति ब्रह्मा की वेदी चहुदिश पांच कोस की होती है !