अयोध्या
क्र. सं. | धर्म ग्रन्थ | पेज | खण्ड | विषय
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१ | वाराह पुराण | ५४५ | १६३ अध्याय | अयोध्या |
२ | श्रीराम भक्ति अंक, कल्याण वर्ष ६८, अंक १ | ३६८ | अयोध्या पाक-स्थान खुर्द मक्का है | |
३ | कबीर शब्दावली | ६२९,६३०, ६३१ | रमैनी २६३, २६५, २६६ | अल्लाह राम दो करता, दोउ का एक मुकाम, कह कबीर जगत सब, तहां लिय विसराम | वे कहें अल्लाह, वे कहें रामा, एक ही घाट दोउ विसरामा || |
४ | कल्कि पुराण संस्कृत-संसथान बरेली, टीका श्रीराम आचार्य | ४९६ | चतुर्दश अध्याय श्लोक-२४ | कल्कि ने महामति को राज्य दिया – – – – – – – – कृपशार्दुल मनु को अयोध्या का राज्य देकर – मथुरा पहुंचे | |
५ | सं० पदम् पुराण | ७१३ | उत्तर खण्ड | चिरकाल तक अयोध्या की एकमात्र रक्षा करने वाले २३९|| |
६ | रामचरितमानस | १०७० | उत्तर कांड | जो परलोक इहाँ सुख चहहू, सुनि मम वचन ह्रदय द्रढ़ गहहू| |
७ | ,, ,, | ४६ | बाल कांड | जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं, तीरथ सकल तहां चलि आवहिं | |
८ | वैदिक संपत्ति पुरानी | ८१-८२ | नगर-देश | अथर्ववेद १०|२|३१-३२ (पेज २३९) अष्ट चक्रा नव द्वारा देवानां पुर्योध्या | तस्मिन् यद् – – – – ब्रह्मविदो विदु: || |
९ | वैदिक संपत्ति नई पुस्तक | ६५ | तस्य हिरण्यय: कोष: स्वर्गो ज्योतिशाक्रतK तस्मिन् हिरान्यये कोशे- – – – -| – – – – – – – – – || | |
१० | अथर्ववेद मोटा | २३९ | दशमं काण्डम सूक्त २ श्लोक ३१-३२ | |
११ | सटीक तुलसीकृत रामायण क्षे० | ७८४ | किष्किन्धा कांड | |
१२ | महाभारत खण्ड २ | ११४४ | वनपर्व नलोपाख्यान सप्त्तित्मोध्याय | |
१३ | ,, ,, | ११४६ | ||
१४ | ,, ,, | ११६१ | ,, ,, | |
१५ १५ख | सत्यार्थ प्रकाश नई पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पुरानी पुस्तक | ३०७ ३४२ | एकादश समुल्लास ,, ,, | |
१६ | चौबीस तीर्थंकर | २९ | अयोध्या में ऋषभ अवतार | अयोध्या पुरियां अनंत तीर्थंकरो |
१७ | ,, ,, | ३० | ||
१८ | ,, ,, | ३३ | ||
१९ | ,, ,, | ६८ | ||
२० | ,, ,, | ६९ | ||
२१ | ,, ,, | ७० | ||
२२ | ,, ,, | ७५-७७ | ||
२३ | ,, ,, | ८६ | ||
२४ | ,, ,, | ८७ | ||
२५ | ,, ,, | ८८ | ||
२६ | ,, ,, | ८९ | ||
२७ | ,, ,, | ९१ | ||
२८ | ,, ,, | ९३ | ||
२९ | रामचरितमानस तुलसीकृत | ११२६ १०६८ १०६९ | उत्तर कांड | अवध प्रभाव जान तब प्रानी, जब उर बसहिं रामु धनु पानी | एक बार रघुनाथ बोलाए, गुरु द्विज पुरवासी सब आये | साधन धाम मोक्ष का द्वारा, पाइन जेहि परलोक संवारा |
३० | ,, ,, | ७८६ | किष्किन्धा कांड | |
३१ | रामायण गूढ़ रहस्य | ३७ | कौशल नामक प्रान्त था, जिसे आजकल अवध कहते हैं| | |
३२ | स० स्कन्द पुराण | ३९३ | वैष्णव खण्ड, | सब तीर्थ अयोध्या को भगवान विष्णु का लोक प्रदान करने वाले है| |
३३ | ,, ,, | ४०१ | अयोध्या खण्ड | अयोध्या गुप्त |
३४ | रामचरितमानस | ११०७ | उत्तर कांड | मूँदउ नयन तृषित जल भयऊ, पुनि चितवति कौशल पुर गयऊ | |
३५ | रामचरितमानस | १०२२ | अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ, यह प्रसंग जानइ कोऊ कोऊ || | |
३६ | हमारे पूर्वज कक्षा ७ उ०प्र० कुमुद्कला प्रिंटर्स आगरा | १५ | भागीरथ ने अयोध्या में राज्य किया | |
३७ | संस्कृत शब्दकोष | ७७३ | मनु अयोध्या पर शासन करने वाले, सूर्य वंश प्रवर्तक – मनु | |
३८ | हिन्दुओं के व्रत एवं त्यौहार, मनोज पाकेट बुक्स | ६७ | भागीरथी गंगे अयोध्या में राज काज संभाला | |
३९ | रामचरितमानस | ३७२ | अयोध्या कांड | रिद्धि-सिद्धि संपति नहिं सुहाई, उमगिअवध अंबुधि कह आई || |
४० | ढोला द्वारा करन सिंह कैथरी वाले बिजनोर उ०प्र० | पूरी अयोध्या गाम नाम में, फूलन मथुरा छाई | वाही देश अरु वाई गाम में, नरवर दियो बसाई || | ||
४१ | गुमनाम किताब विष्णु महिमा | ३२९ | अयोध्या नगरी भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर स्थित है| | |
४२ | स० स्कन्द पुराण | ३९६, ४०४ | ,, ,, | |
४३ | पानप बोध | १४२ | अवधू – अवध – – – – – | |
४४ | नारद विष्णु पुराण कल्याण अंक २८ वे वर्ष का विशेषांक | ४९६ | अयोध्या – – – – – स्वर्गलोक चलि जाय | |
क्र. सं. | धर्म ग्रन्थ | पेज | खण्ड | विषय |
१ | स्कन्द पुराण | 401 | वैष्णव खण्ड अयोध्या महात्मय | अयोध्या गुप्त |
२ | ,, ,, | 398 | ,, ,, | स्वर्ग द्वार, आधा योजन दूरी प्रमाण |
३ | ,, ,, | 393 | ,, ,, | अयोध्या में साक्षात् विष्णु निवास |
४ | ,, ,, | 388 | ,, ,, | अयोध्या क्षेत्र स्थिति – भगवान विष्णु का अंतर्ग्रह |
५ | ,, ,, | 396 | ,, ,, | गुप्त हरि अयोध्या, भगवान विष्णु के हाथ से चक्रसुदर्शन छूट कर गिरा चक्रारि के नाम से प्रसिद्द हुई |
६ | ,, ,, | 393 | ,, ,, | सब तीर्थ अयोध्या को भगवान विष्णु का लोक प्रदान करते हैं |
७ | ,, ,, | 402 | ,, ,, | अयोध्या उत्तम स्थान है, यहाँ परम पद है |
८ | ,, ,, | 404 | ,, ,, | अयोध्या सर्वोत्तम स्थान भगवान विष्णु के चक्र पर प्रतिष्ठित है |
९ | ,, ,, | 394 | ,, ,, | अयोध्या में सुवर्ण की अक्षय वर्षा की, सोने की अक्षय खान बन गयी| कुबेर की दी हुयी सोने की खान यह मनोवांछित फल देने वाली है |
१० | आदि श्री गुरुग्रंथ साहिब | 1375 | कबीर धरती अरु आकाश महि दुई तू बरी अवध | |
११ | नारद पुराण | 500 | राम गृह नाम गुप्त क्षेत्र, राम सर गुप्त | |
१२ | स्कन्द पुराण | 756 | आवन्त्य खण्ड रेवा खण्ड | अयोध्या प्रदेश में अनेक नदियाँ प्रकट हो जाएँ |
१३ | ,, ,, | 755 | ,, ,, | अयोध्या – मनु चक्रवर्ती रजा |
१४ | ,, ,, | 769, 771 | ,, ,, | अयोध्यापुरी यज्ञ – – – – – |
१५ | ,, ,, | 871 | नागर खण्ड | अज की पत्नी इंदुमती पुत्र दशरथ ज्ञान युक्त शस्त्र प्राप्त कर विचित्र – अस्त्रों के प्रयोग ए प्रज्ञा सञ्चालन |
१६ | ,, ,, | 872 | ,, ,, | अज की राजधानी – अयोध्या | कुंड में अस्त्र-शस्त्र को देवी की आज्ञा से डालना |
१७ | श्री महाशिव पुराण | 136 शिव पुराण | उमा संहिता ५ अ० ५१ श्लोक २० | वाराणसी ——— अयोध्या मथुरा में मंदिर बनवाता है | वह ——— |
१८ | श्रीमद्देवी भागवत | ५३२ | पंचम स्कंध अध्याय १७ | अवध का नाम ही कौशल है |
१९ | श्रीराम भक्ति अंक – कल्याण वर्ष ६८ स० १ | २६० | अयोध्या विवरण | |
२० | विष्णु महिमा | ३२९ | अयोध्या | अयोध्या सप्तपुरी में से एक है| स्कन्द पुराणानुसार भगवान का चक्रसुदर्शन पर स्थिति है – विषद व्याख्या है |
२१ | श्री बाल्मीकि रामायण प्रथम भाग | ८० | बालकाण्ड चतुर्दिश: सर्ग | सरोवर से एक नदी निकली है जो अयोध्यापुरी के तक पर बहती है, ब्रह्म सर से निकलने के कारण सरयू नाम एस विख्यात है |
२२ | श्री गुरुग्रंथ साहिब | ११६१ | जैन क्रम में अजमेर में अयोध्या | सोने की नसिया – गोल नक्सा ४५ क्विंटल सोने से निर्मित हाथी सात सूंड का आगरा गेट पर | | |
२३ | महावीर बल्लभगढ़ की बनायी डायरी में है | ६८ | अयोध्या वर्णन | अयोध्या विषद वर्णन |
२४ | श्रीमहाभारते | ११६१, ११६३, ११६५, ११४८, ११४६, ११४४ | अयोध्या पूरी ऋतू पर्ण राज भवन | |
२५ | सं० स्कंध पुराण | ७५५ | अयोध्य में मनु चक्रवर्ती रजा | |
२६ | हमारे पूर्वज | १३ | राजा भागीरथ | अयोध्या – राजा – सगर |
२७ | राजपाल हिंदी शब्दकोष | ५२ | अयुध्य | अजेय |
२८ | संस्कृत – हिंदी शब्दकोष | ९० | अयोध्या | जिस पर आक्रमण न किया जा सके जिसका मुकाबला न किया जा सके |
२९ | चौबीस तीर्थंकर | ८६-८९,७५, ३३, २९, ३०, ६८-७, ७७, ९३, ८६, ९१ | अयोध्या के अन्य नाम, साकेत पूरी, सु कौशला, विनीता, चक्रवर्ती | |
३० | वैदिक संपत्ति | ५३४-५३५ | मुसलमान आर्य शास्त्र | मछ कोरम वाराह मणा पाई – – – – – – — – अनंत क्रोनी ना गुरूजी – – – – – |
३१ | वैदिक संपत्ति डायरी न. १ डायरी न. ९ डायरी न. ६ | ६७ २१ २११ | नगर-देश अथर्ववेद १०|२|३१-३२ भारत | अष्ट चक्रा नव द्वारा देवानां पुर्योध्या | तस्मिन् यद् – – – – ब्रह्मविदो विदु: || ब्रह्मेदम भारत जनम |
३२ | कबीर मंसूर | अष्ट चक्र – मनोमय चक्र | ||
३३ | कौल-ज्ञान निर्णय | १२३ | अष्ट दलात्मक लम्बिकाएं | |
३४ | सिद्ध सिद्धांत | ३६ | द्वितीयोपदेश पिंड-विचार | नव चक्र निरूपण |
३५ | जिन भारतीय संग्रह जिनवाणी संग्रह | १४८ | पद्धरी छन्द | अवध छप्पन कुमारिका महल रतन पांडुक शिला क्षीरोदधि जादोंपति श्री नेमिनाथ |
३६ | ब्रह्म पुराण भाग २ | २७४ | वराह अवतार वर्णन | श्लोक १५६ महाबलशाली राम अयोध्या त्याग कर दिव्य लोक चले गए थे | |
३७ | पानप बोध | १५२ | पंथ | अवधू सोई अवध को जीते अवध+ऊ = अवधू अर्थात अवथ वो है |
३८ | अवधू अधाधुंध अँधियारा, कोई जानेगा जानन हारा | जाघट भीतर सात समुन्दर, यही में परखन – हारा || | |||
३९ | ब्रह्माण्ड पुराण भाग २ | ४०५, ४०२, ४०३,३९०, ४१० | ||
४० | अथर्ववेद संहिता भाग २ टीका रामस्वरूप शर्मा गौड़ | ९ | कांड १० सूक्त २ | श्लोक संख्या २६९९ आठ चक्र नौ द्वार देव शक्तियों की पूरी अयोध्या तेजस्वी – कोष है ——— स्वर्गीय आनंद से परिपूर्ण है| |
४१ | ,, ,, | १० | ,, ,, | आठ चक्र नौ द्वार वर्णन १- मूलाधार चक्र २- स्वाधिष्ठान चक्र ३- मणिपूरक चक्र ४- अनाहत चक्र ५- विशुद्ध चक्र ६- आज्ञा चक्र ७- लोलक तालू मूल, ८- सहस्रार नौ द्वार वर्णन: दो आँख, दो नाकिका, दो कान, दो मल-मूत्र, एक मुख |
४२ | योग एवं यौगिक चिकित्सा प्रो० रामहर्ष सिंह | ४८ | चित्र सहित रंगीन क्रम आगे विस्मित चिन्ह चक्र हैं| अनेक प्रमाणित चिन्ह – प्रमाण | |
४३ | ,, ,, | ५० से पहले | सहस्रार चिन्ह पर अनेक प्रमाण ग्रंथों के लिखे हैं| | |
४४ | नारद विष्णु पुराण | ३६० | पूर्व भाग, तृतीय पाद | दिव्य अयोध्या नगर में रत्नों से निर्मित एक सुवर्णमय मंडप है, जिस में मनार के फूलों से चंदोवा बनाया गया है | |