गुरूदेव वाणी-7

Date: 11.01.2025

कहां खोजे संभल गाँव, मिले मथुरा में। टैक
राजस्थान रचो,धेलम देश बतामें।।
कलाप ग्राम, वैराट भूमि यही है।
सोच समझ हरिनाम, ये बात कही है।।
मथुरा में मथुरा गुप्त, पार नहीं पावे।
मंडलाकार हरिनाम, चौथा लोक बतामें।।
तीन लोक है टेढ़ा मेड़ा, यहां ब्रह्म नही आवे।
यहां पर तो संकेत बने हैं, हरिनाम समझ नहीं पावे।।

🌹🌹दोहा 🌹🌹
हिन्दू मुस्लिम सिख क्या, क्या ईसाई जैन।
गुरु भक्ति पाए बिना, हरिनाम न पावे चैन।।🌹

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जान जान ओ जान, क्यों नहीं करती पहचान।
कोई ले जायगा, कोई ले जायगा। टैक
कर जाने जा का ध्यान, तुम्हें नहीं कोई ज्ञान।
पड़ी रहेगी म्यान, फिर होगी परेशान।।
कोई ले जायगा……..🌹

Date: 12.01.2025

देउ देउ दुनिया कहे, बिन दिये में रारि।
लेउ लेउ सतगुरु कहे, हरिनाम पुकारि पुकारि ।।

परवाना करके, मैं परवाना बन गया।
हरिजन को हरिनाम, परवाना ले आया।।

जिक्र की नहीं जाती कि, हुस्ने इश्क में क्या है।
हरिनाम लाख कहने पर, कुछ कहा नहीं जाता।।

वक़्ते – हालात पर, हरिनाम का, कोई नहीं शिकवा।
खूबि- ए – किस्मत, खुदाई फैज के कारण।।

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दही जरवा , सनम नही भाय
हाय हाय हरनाम
मुझे ठंडी चाय पिलाए

Date: 13.01.2025

आशिक माशुक की व्यथा, हरिनाम राखिए गोय।
गगन – धरा के बीच तक, जान न पावे कोय।।

वतन सजन का दूर है, जतन से लगन लगाए।
मगन भजन पहुचे सदन, हरिनाम रतन पा जाए।।

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यादों का सफर बहुत दुशवार हुआ करता है ।
छिप – छिप कर हरिनाम , वो बहुत रोया करता है ।।
दौलते – ग़म देके तूने , क्या नहीं मुझको दिया ।
सब कुछ दिया – सब कुछ दिया , हरिनाम को सब कुछ दिया ।।

जीवन थोड़ा बहुत है, हो हरिनाम – विचार ।
सत सुमिरन बिन जानिये, लाख बरस बेकार।।
तपसी होय देही साधे , मनुआ साधे नाहीं ।
हरिनाम काल के जाल से कभी निकल नहीं पाहिं ।।

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