लॉक डाउन में जहाँ हैं वही रहें और भजन करें

स्वर्ग लोक इक और अनूठा, सो वह मरतु लोक में डीठा !!

वह भी बढ़ मागन सुं पावै, हरी कृपा से बनि पावै !!

 

अचरज मानस देह कू, स्वर्ग लोक ही जान !!

तापें आये होता है, परमेश्वर – पहिचान !!

 

ऐसा स्वर्ग लोक नहीं दूजा, तामें आके सब कुछ सुझा !!

तामें भोगें भोग अपारा, तामें दिखें अति गुलजारा !!

 

मूरख याका भेद न पाया, ता में सब ब्रह्माण्ड समाया !!

ताको पाके ब्रहम विचारें, तामें आके तत्व – निहारें !!

 

जाको दीसें दस दरवाजे, तामें अनहद – बाजें बाजे !!

करम धरम बहुते तप कीन्हा, ताते हरि नर तन दीन्हा !!

 

ऐसा पाया स्वर्ग गवांवै, कल्प कल्प बहुते पछितावें !!

जो कोई यहाँ सू गिर जावे, मानुष देहि बहुरि नहीं पावे !!