शारीरिक पहचान–
- पैर में पदम होगा।
- हाथ में कमल होगा।
- हथेलियों में भी कमल होंगे।
- सृष्टि विषयक कमल- दाहिने हाथ की बीच की अंगुली में नाखून के अन्दर की तरफ पंखुड़ी सहित कमल होगा।
- पिंडली कसी हुई होंगी।
- अंगुली मूंगफली जैसी होंगी।
- दांत अनारकली जैसे होंगे।
- शरीर से खुशबू आती होगी।
- मुद्रा मयूर पंख होगी।
- पेट मटके सा बड़ा होगा।
- हर व्यक्ति का शरीर अपने हाथ से साढ़े तीन हाथ का होता है और अपनी अंगुल से चौरासी अंगुल का होता है। लेकिन गुरू या निष्कलंक का शरीर अपनी अंगुल से 96 अंगुल का होगा।
- सफेद दाड़ी वाला होते हुए भी तरूण व जवान नजर आयेगा।
- छाती पर श्रीवत्स का चिन्ह होगा।
- बाल घुंघराले होंगे।
- मस्तक ऊँचा होगा।
- न लम्बा होगा न गट्टा होगा।
- रंग सांवला होगा……….. सांवलिया।
- ब्रह्म रन्ध्र मद फूटा हुआ होगा।
- शरीर के हर अंग प्रत्यंग का वर्णन ऋग्वेद आदि में इन्द्र की भांति किया हुआ है।
- कमल अंक पंखुरी अरु, सुरति बन्दि सुख तेज।
कह कबीर संसय गयी, महापुरूष के ऐर।।
- ज्ञान पुरूष का यही गुण, अमी अमी हो जाय
कहं कबीर धर्मदास से, देह हिरण्यमय पाय ।।
- वाणी मधुर व विनम्र होगी।
- आवाज तेज होगी।
- ऋग्वेद में उसे जोर से बोलने वाला कहा गया है।
- दिव्यास्त्रधारी होगा, जो तपस्या से प्राप्त किये जाते हैं। दिव्य नेत्र से ही देखे जाते हैं।
- स्थूल देह से वृद्ध तथा परकाया प्रवेश रूप युवा, किशोर होगा, मनरूपी घोड़े पर सवार हो ज्ञानरूपी तलवार से संहार करेगा।
- संकल्प की रचना करेगा, कोई उसके समान नहीं होगा। अज्ञानता को नष्ट करने में पृथ्वी, आसमान में मारक क्षमता समान होगी।