गुरूदेव वाणी-5

Date: 28.12.2024

मन माया में रम रहा,
ब्रह्म की बात बताए।
हरिनाम बचो बगुलो से,
हंसा सम दिखलाये।।

नशा नशावे नाम को,
जाम करे वेकाम।
नकद नरायन नहीं रहे,
सोच-समझ हरिनाम।।

सुरा न सेवन कीजिए,
सब कुछ देगी खोए।
हरिनाम जाम पर जाम पी,
दुष्कर्मी अति- होय।।

29.12.2024

सेवा सुक्रत कीजिए,
सब से यों फरमाएं।
हरिनाम करे सेवा नहीं,
खुद सेवा ख़ा जाये।।

आपा अपना सोधा नहीं,
औरन सोधे गूढ़।
हरिनाम प्रबल-पाखंडी,
नरक रहा है डूढ।।

होए निकम्मा गृहस्थी,
अरु प्रपंची साध।
भोग-योग कोरा रहे,
हरिनाम व्याध ही व्याध।।

खून चूस धन कमावे,
होय धनी से दूर।
हरिनाम कमी पावे नहीं,
हाथ लगे नहीं धूर।।

क्या है हरिनाम कुछ न पूछिये, यदि पूछते ही हो।
गुलशन परस्त है,गुलशन परस्त है ,गुलशन परस्त है।।

गुल ही नहीं अजीज,
हरिनाम को यारो।
खार जार भी अजीज,
अन्दलीवे-जार को।।

सलामाले कम है दिल से,
और उल्फते आदाव है।
हौसला बुलंद,
हरिनाम का जनाब है।।

30.12.2024

मेरे जहन में, इस जहां की, जुस्तजू झूठी।
जाहिर हरिनाम क्यों फिर,
नाज़ करता है।।

हरिनाम की शैली को,
कोई जानना चाहे।
खुदखुदी को मेट कर,
कुर्बान होके देख ।।

उल्फते आदाव में,
दिल के किस्से हैं छिपे।
हरिनाम लाख कोशिश कर,
कहने में आते नहीं।।

आहिस्ता पैर रखने की,
क्या हरिनाम अदा है।
मिजाजे हुस्न शायद,
आशिकाना होता जाता है।।

कुत्ता पाले कुत्ता,
कुत्ता मारे कुत्ता।
बारह फुट कुत्ते से,
हरिनाम दूर रह।।

मकां का ही मालिक नहीं,
हरिनाम।
मालकिन, मालिक बना देती है।।

31.12.2024

अरे ओ प्रसासन ये,
राशन नही हैं ।
हरिनाम पाने का,
आसन नही हैं ।।

खुदा की खुदायी से,
जुदाई हांसिल होगी।
हरिनाम दिल से दिल मिला,
उनकी रहनुमायी होगी।।

 

आज की जय राम जी , कल की नमस्ते।
हरिनाम गुरुवार की, दस्ते दुआ, दस्ते दुआ, दस्ते दुआ।।

यकायक उठ गयी नजर,
की मेरे हुस्ने यार की।
हरिनाम इस जहां में,
कोई ना वाकिफ न रहे।।

बद वक्त को यारो मैं,
पमाल किसे देता हूं।
हरिनाम दुई का अभी,
दामन उठाये लेता हूं।।

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