पुरूष विशेष (गुरू या निष्कलंक अवतार) पहचानः आध्यात्मिक पहचान (विद्या)

आध्यात्मिक पहचान (विद्या) –

  • दो प्रकार की विद्या होती है – परा और अपरा
  • गुरू विशेष अपरा को जनाते हुए परा विद्या में व्यक्तिगत अनुभव देगा।
  • परा विद्या संसार में गुप्त है।
  • देह से गुरू, सन्त, अवतार, भगवान नहीं होता, देह से मानने वालों को कालनेम या आसुर (असुर) कहा है।
  • ये उपर्युक्त सभी उपाधि निराकर बृह्म की हैं।
  • सार-शब्द ही गुरू होता है। अपराविद्या दाता को शिक्षक, अध्यापक आदि कहा है।
  • पराविद्या को देने वाले भगवान, अल्लाह, गौड, वाहेगुरू …………. सूक्ष्म अधिष्ठाता कहे गये हैं।
  • जिस देह में भगवान प्रकट होते हैं, उसे भक्त नवी, नादिया, हंस, गरूड़, ऐरावत हाथी, क्रमानुसार क्रम से कहा है।
  • भारत में जिसे आवाहन रूप में जाना जाता है। हजरत आदम में खुदा की आत्मा थी।
  • ईश्वरीय ज्ञान कल्कि द्वारा होगा, फरिश्तों द्वारा वह मुहम्मद साहिब संदेष्टा।
  • विष्णु के दस अवतार, मुहम्मद साहिब ने भी अपनी आत्मा के दस टुकड़े किये।
  • वाहन सारूप मुक्ति – खुदा ने मनुष्य में गमन किया।
  • दयाल सत्ता विरोधी काल, खुदा विरोधी-शैतान।
  • शक्तियों का खेल होगा, मोटी आंखों वाली हूरों को हम तुम्हारा साथी बनायेंगे।
  • महाप्रलय- कियामत को कराने वाले तथा उस विद्या के पूर्ण ज्ञाता होंगे।
  • विश्व के सभी धमग्रन्थों को एकरूप देते हुए, अनुभवी ज्ञान के अधिष्ठाता होंगे।
  • जहाँ धन होगा-वहाँ भक्ति नहीं होगी, जहां भक्ति होगी-वहां धन नहीं होगा।
  • सर्व धर्मग्रन्थ तथा भविष्यवक्ता उस एक को ही सिद्ध करेंगे। भ्रम के बादल हमेशा को छट जायेंगे।
  • महामृत्युन्जय के बल के कारण लोग प्यार भी करेंगे, अभूतपूर्व क्रम में। भय भी करेंगे।
  • संसार की विद्या लुप्त तथा प्रकट का शत-प्रतिशत ज्ञाता होगा।