दु जहाँ को जाने बिना,
आई मुसीबत भारी है ।। टेक ।।
मय – कौसर का पान करो.
मगार के अन्दर जारी है।। १ ।।
ए जदी से जा सम्पर्क करो,
यदुल्लाह की रहमत सारी है ।
यदुल्लाह बिना तुम मानो,
वारी में ख्वारी तूम्हारी है ।। २ ।।
लोहे महफूज को जाना नहीं,
बकवादों का करना जारी है।
अन्तर मुख हो जाये बिना,
क्या औकात तूम्हारी है ।। ३ ।।
कलमा एलाम एलान हमारा,
क्यों मति मारी है।
सौगन्ध सौति को नहिं जाना,
तो मति मन्द भारी है ।। ४ ।।
अताई हकीम मौत का कारण,
इसलिए अपील जारी है ।
काल – जाल में फंसी दुनिया,
कोई माने बात हमारी है ।। ५ ।।
अदन सदन करारी खोजो,
समझ न पाए कारी है ।
हरिनाम हिजाज हिरा जानो,
नहिं तो कियामत भारी है ।। ६ ।।
हरनाम सिंह महाराज जी द्वारा रचित
अपरान्ह दिनांक २६.१०.२०१९
उर्दू–हिंदी शब्दार्थ:
दु जहाँ – परलोक, आखिरत
मय कौशर – स्वर्ग की मदिरा
मगार – गुफा कन्दरा
बारी- स्रष्टि पैदा करने वाला ईश्वर
महफूज- अर्श स्थान जहाँ संसार में होने वाली साड़ी घटनाओं का उल्लेख है
अदन- निवास, स्वर्ग का बाग, किसी जगह हमेशा रहना
सदन – घर
करारी- स्थल नाम
सौति – शब्द, ध्वनि
ए जदी – जदुवंश में जन्मा सन्देश वाहक
यदुल्लाह – अल्लाह हाथ, ईश्वर सहायता