भगवान भक्त हरी हर
क्रसं. | धर्मग्रन्थ | पेज नं. | अध्याय | लेखक/ टीकाकार | विवरण |
1. | स्ंक्षिप्त शिवपुराण
गीताप्रेस गोरखपुर |
193
249 361 |
रूद्र संहिता
कोटि रूद्र संहिता श्लोक 39 |
हनुमान प्रसाद पोद्दार | हरनाम……….जप
हरनाम से प्रसिद्ध योगी………….ग्रह । वसु……………हररू ।। |
2. | शिवपुराण भाषा बम्बई | 93 | छठवां अध्याय | हरनाम नाम से अवतार लेंगे। | |
3. | कल्कि पुराण | 463
349 |
नवम अध्याय
द्वितीय प्रथम अनुच्छेद |
श्रीराम शर्मा आचार्य | |
4. | कल्याण वर्ष 67 | 226 | शिवनाम महिमा, शिवोपासनाअंक 1993 ई. | हरनाम पापों का नाश करने वाला। | |
5. | वृह्म पुराण | 265 | वाराहवतार वर्णन | व्यास जी अनुवादक श्रीराम शर्मा आचार्य | |
6. | श्री शिव महापुराण | शि.पु. 267 | रूद्र संहिता 2 पार्वती खण्ड 3 अनु0 33 | ज्वाला प्रसाद मिश्र खेमराज प्रकाशक बम्बई | |
7. | कल्याण शक्ति अंक 1991 श्रवण-भाद्रपद | 277 | उपनिषदों में शक्तितत्व | हनुमान प्रसाद पोद्दार गीता प्रेस गोरखपुर | |
8. | श्रीरामचरित मानस गीताप्रेस गोरखपुर | 1132
895 131 24 |
उत्तर काण्ड
दोहा 102 ख लंकाकाण्ड 31 ख के दोहा नं. से आगे बालकाण्ड दोहा नं. 117 से आगे बालकाण्ड दोहा नं. 14 से आगे |
गोस्वामी तुलसीदास | कृतयुग……………………योग।
जोगति…..हरि नाम ते पावहि लोग ।।
हरिहर……………. एहिविधि जम…….. कलिविलोक……. |
श्रीरामचरित मानस
गीताप्रेस गोरखपुर |
28 | बालकाण्ड दोहा नं. 18 से आगे चैपाई नं. 1 | गोस्वामी तुलसीदास | विधि हरिहर…….. | |
‘‘ ‘‘ | 29 | बालकाण्ड दोहा नं. 18 स आगे चैपाई नं. 4 | गोस्वामी तुलसीदास | हर शे हेतु हरिहरही को,…….. | |
‘‘ ‘‘ | 5
6 |
बालकाण्ड | गोस्वामी तुलसीदास | हरिहर कथा विराजति बेनी । | |
6 | बालकाण्ड | गोस्वामी तुलसीदास | विधि हरिहर …………. | ||
श्रीरामचरित मानस बम्बई | 1127 | उत्तर काण्ड | सुनत वचन कह पवन कुमारा निष्य तनु हरिनाम उदारा | ||
9. | स्ंक्षिप्त पद्म पुराण | 851 | उत्तर खण्ड | जयदयाल गोयन्दका गीताप्रेस गोरखपुर | ‘‘हरिहर नाम कीर्तन तथा भगवान की प्राप्ति का भेद गुप्त इसका आदेश करने वाला पुरूष बडे भाग्य से मिलता है।’’ |
10. | स्ंक्षिप्त स्कन्ध पुराण | 35, 245, 1110, 575 | काशी खण्ड पूर्वार्द्ध | व्यासजी | हरनाम
श्री हरिनाम का स्पर्ष होते ही समस्त पाप हर जाते हैं। |
11. | स्ंक्षिप्त पद्म पुराण | 565 , 566, 362, 409, 377, 375 | पाताल खण्ड
नामर्कीतन महिमा भगवान के चरण चिन्हों का परिचय |
कलियुग
श्लोक…. श्लोक…. |
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12. | सम्पूर्ण शिवपुराण | 70 | छठवां अध्याय | राधेश्याम शर्मा | प्रकाशक अनीता पाकेट बुक्स खारी बाबडी दिल्ली-110006 |
13. | बारहमासों के सम्पूर्णव्रत एवं त्योहार | 56
60 61 |
सम्पादक डा. चमनलाल गौतम | प्रकाशकः संस्कृत संस्थान ख्वाजा कुतुब, देवनगर, बरेली | |
14. | स्ंक्षिप्त वृह्मवैवस्वत पुराणांक | 24 | व्यासजी | व्यासजी | हरिनाम उच्चारण करता है वह श्रीहरि के परम धाम जाता है। |
15 | स्ंक्षिप्त वृह्मवैवस्वत पुराणांक | 465 | ,, | ,, | भगवान शिव…………हरि नाम जप कर रहे थे। |
16. | कबीर मन्शूर | 112 | कबीरदास | कबीरदास | हरिनाम……………………….। |
17. | भक्ति मार्ग प्रथम | 144 | सत्यप्रकाश गोयल | सत्यप्रकाश गोयल | बुरा भी अपना……………….
…………………हरिनाम लागै। |
18. | कबीर भजन माला | 7, 24, 60 | हरिओम शर्मा संग्रहकर्ता | ||
19. | नारदपुराण द्वितीय | 211 से 216 तक | व्यासजी | व्यासजी | हरिनाम अवतार को सम्पूर्ण भेद शिवस्वरूप
श्लोक 95 हरिनाम परा येतु घोरे कलियुगे द्विजः |
20. | बामन पुराण प्रथम खण्ड | 301, 302 | प्रहलाद श्कत बलिनिन्दा | श्रीराम शर्मा आचार्य | बलि ने कहा ‘‘श्लोक 28 हरिनाम कौन है जिसने भयभीत कर दिया है।’’ |
21. | नामसिद्धांत | 232 | शंगारीए, खाक, भंडारी, मोहनलाल सेहगल
राधास्वामी सत्संग व्यास |
स्ंात प्रसाद हरिनाम धियाइया | |
22. | नारद-विष्णु पुराण | 32 | पूर्वभाग प्रथम पाद | जो हरिनाम का आदर करते हैं……..श्रेष्ठ भगवद्भक्त हैं। | |
23. | पलटू साहिब | 199 | चेतावनी | कहवां से जिवआए भूल गये हरिनाम माया लिपटाने…..। | |
24. | शुकसागर श्रीमद्भागवत | 83 | भाषास्कंद 2
अनु. 7 |
मातामह ने हरनाम नाम रखा
पहले उसका नाम सुयज्ञ था |
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25. | पलटूसाहिब द्वितीय भाग | भजन करि भूखे काहे मरे। | |||
26. | शब्दसंग्रह | 199 | पलटूसाहिब | कहि वाॅ से जिब……………..
भूलि गये हरिनाम माया लिपटा ने हो। |
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,, | 189 | गुलाल साहिब | हरिनाम | हरिनाम न लेह ूगॅवारा हो | |
,, | 170 | चरनदास जी | राखो जी लाज गरीब निवाज……..
…….भक्त बछल हरिनाम कहाबा। |
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,, | 162 | केशवदास | दौलत निसान…………
……बादि हरिनाम कउ का जनहि अंत कै। |
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27 | ज्ञान वैराग प्रकाश | 54 | प्रथम किरण | गुरू कौमुदी | अरे भज हरेर्नाम क्षेमधाम क्षणे.क्षणे। |
28. | अथर्ववेद भाष्ये | 1257 | काण्ड 20 सूक्त 64 श्लोक 5 | हरिनाम में स्थित इन्द्र | |
29 | पलटूसाहिब की बानी भाग 3 | 47 | मंगल 105 पंक्ति 6 | पलटूदास हरिनाम लेइ सो सोना हो | |
30. | भक्ति सौदागर का संदेश | 4 | एक | मनुष जनम पाय कर, नही रटै हरिनाम ।
जैसे कूआ जल बिना खुदवाया किस काम ।। |
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,, | 6 | एक | एक हरिनाम बिन नारी कुतिया होय ।
गली गली भौकत फिरै टूक न डालै कोय ।। |
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,, | 11 | ,, | ग्ंागा काठै घर करै,पीवै निर्मल नीर ।
मुक्ति नही हरिनाम बिन सत्गुर कहैं कबीर ।। |
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31. | ऋग्वेद मंडल 9 | 335
1179 388 346 342 |
सूक्त 96
श्लोक 17 |
शिशुमजज्ञानमहर्य तम………गणेन………. ……………………..। | |
32. | रविदास रामायण | 37 | प्रातरू मध्य अरू शायंकाल फेरो हरिनाम की माला | ||
33. | सूर्यपुराण | 26
27 |
शिवमहिमा वर्णन
श्लोक 52 |
भावार्थः जो व्योम में रहा करते उन हर को व्योम नही जानता यह व्योम उनका ही रूप है ।उन व्योमात्माहरि के लिये नमस्कार है। | |
34. | मिराजे रसूल | 200 | अंजुम बुक डिपो | मक्के की मंजिल | आ गया मक्का का जंगल आ गया……
……..मानते है हरनवी का मोअजिजा मोअजिजामे अराज का सबसे बडा |
35. | नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी | १७९ | मारुती प्रकाशन
सेंचुरी १० ,छन्द ७५ |
महान शक्ति का उदय |
So long expected shall never come Into Europe, in Asia shall appear, One issed of the line of the great Hermas And shall be over all the kings of the Orient
शब्दार्थ – बहुत लम्बे समय तक प्रतीक्षा करने के बाद यूरोप में प्रकट न होकर एशिया में ही दिखाई देगा। हर्मेश महान का वंशज यह पूर्व के सभी शासकों से अधिक प्रभावशाली तथा दबंग होगा। चिरपरिचित वापस कभी नहीं आएगा, यूरोप में एशिया में आयेगा जरूर हर्मेश महान एक विशेष संगी–साथी वह हिन्दुओं के अन्य सभी सम्राटों से अधिक शक्तिशाली व समर्थ होगा। |